Bharat met Ram on the 12th day of Ramnagar’s Ramlila | रामनगर की रामलीला के 12वें दिन राम से मिले भरत: लीला में निभाई जाती हैं अनोखी परम्परा, मुस्लिम परिवार संभालता है पेट्रोमैक्स की जिम्मेदारी – Varanasi News

वाराणसी में रामनगर की रामलीला सबसे अनोखी होती है। यही वजह है कि यूनिस्को ने भी इसे वर्ल्ड हेरिटेज माना है। आयोजित इस ऐतिहासिक रामलीला में आज भी किसी स्टेज और लाइट-साउंड की व्यवस्था नहीं होती हैं। 5 किलोमीटर के क्षेत्र में खुले मैदान में यह लीला सम्पन
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एक महीने 350 पेट्रोमैक्स का होता है इस्तेमाल
रामलीला में उपयोग होने वाले पेट्रोमैक्स की टंकी 2 लीटर की है और 2 लीटर डीजल और तारपीन इसमें भरने के बाद यह 12 घंटे तक जलता है। डीजल में तारपीन मिक्स करने की वजह से धुआं भी ना के बराबर रहता है। जिसे पर्यावरण को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। इसको तैयार करने वाले रियाजुद्दीन ने बताया कि यह लीला 30 दिनों तक इसी पेट्रोमैक्स की रोशनी में होती है। हर दिन लीला में 10 से 14 पेट्रोमैक्स का यूज होता है।
आइए अब जानते हैं रामनगर की रामलीला में क्या हुआ
भारद्वाज मुनि के आश्रम से भरत श्रीराम से मिलने चले तो इंद्र घबरा गए। उन्होंने बृहस्पति से कहा कि कुछ ऐसा उपाय करिये कि भरत राम से ना मिल सकें। उधर, भरत अपनी चतुरंगिणी सेना के साथ आगे बढ़ते हुए राम के बारे में पूछते-पूछते नदी के किनारे पहुंचे। भारी भरकम चतुरंगिणी सेना के साथ भरत को आते देख लक्ष्मण के मन में संदेह हो जाता है। तभी आकाशवाणी होती है बिना विचार किए जल्दी में कार्य करने से पछताना पड़ता है।आकाशवाणी सुनने के बाद राम लक्ष्मण को समझाते हैं।
भरत गुरु की आज्ञा से शत्रुघ्न और निषाद राज के साथ राम से मिलने के लिए आगे बढ़े और श्रीराम को देखते ही पाहिं नाथ पाहिं गोसाई कहते हुए जमीन पर गिर पड़े। यह देख राम नंगे पांव दौड़े और भरत को उठाकर गले लगा लिया। चित्रकूट में चारों भाइयों का मिलन देखकर लीला प्रेमियों की आंखें छलक उठती हैं। लीला शुरू होने से पूर्व हुई बरसात लीला समय से शुरू होने में बाधक तो बनी ही बल्कि एक परंपरा निर्वहन में भी आड़े आ गई। शनिवार को होने वाली चतुरंगिणी सेना की सलामी नहीं हो पाई।