Appearance celebration of Swami Haridas Ji | स्वामी हरिदास जी का प्राकट्य उत्सव: राधा अष्टमी के दिन आए थे स्वामी हरिदास वृंदावन, बांके बिहारी जी को किया था संगीत साधना से प्रगट – Mathura News

श्री बाँके बिहारी जी महाराज के प्रागट्यकर्ता संगीत सम्राट स्वामी हरिदास महाराज वर्ष 1537 में 24 अगस्त को श्री राधा अष्टमी के दिन वृंदावन पधारे थे
जन जन के आराध्य ठाकुर श्री बाँके बिहारी जी महाराज के प्रागट्यकर्ता संगीत सम्राट स्वामी हरिदास महाराज वर्ष 1537 में 24 अगस्त को श्री राधा अष्टमी के दिन वृंदावन पधारे थे। इसीलिए स्वामी जी के साधना प्रारंभ करने के दिवस अथवा वृंदावन आगमन दिवस के रूप में
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25 वर्ष की अवस्था में आकर करने लगे थे वृंदावन वास
श्री बांके बिहारी मंदिर के सेवायत एवं श्री हरिदास बिहारी फाउंडेशन भारत ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष इतिहासकार आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि स्वामी हरिदास महाराज 25 वर्ष की अवस्था में वर्ष 1537 में 24 अगस्त को राधा अष्टमी पर्व पर वृंदावन आकर स्थाई रूप से वास करने लगे थे। इससे दस वर्ष पूर्व ई. सन 1527 में स्वामी जी ब्रज यात्रा करके तीर्थाटन को चले गये थे। हरिदास जी द्वारा राधा अष्टमी को साधना का विधिवत शुभारंभ किये जाने के उपलक्ष्य में ही परम्परा के अनुसार इस दिन पाटोत्सव समारोह का आयोजन होता है।
स्वामी हरिदास महाराज 25 वर्ष की अवस्था में वर्ष 1537 में 24 अगस्त को राधा अष्टमी पर्व पर वृंदावन आकर स्थाई रूप से वास करने लगे थे
बांके बिहारी जी को किया था संगीत साधना से प्रगट
शास्त्रीय संगीत के जनक कहे जाने वाले स्वामी हरिदास जी ने निधिवन राज में लता पताओं के बीच रहकर संगीत साधना से प्रिया प्रियतम को प्रगट किया था। जमीन से जब प्रिया प्रियतम प्रगट हुए तो स्वामी हरिदास जी के आग्रह पर वह दोनों एक दूसरे में समा गए और बांके बिहारी बने। आज भी बांके बिहारी मंदिर में विराजमान भगवान बांके बिहारी दो प्राण एक देह हैं।

स्वामी हरिदास जी ने निधिवन राज में लता पताओं के बीच रहकर संगीत साधना से प्रिया प्रियतम को प्रगट किया था
अकबर भी हुए थे स्वामी हरिदास के मुरीद
मुगल सम्राट अकबर के दरबारी तानसेन का संगीत देख कर एक बार अकबर ने उनके गुरु से संगीत सुनने की इच्छा जाहिर की। सम्राट के कहने पर तानसेन अकबर को स्वामी हरिदास जी से मिलाने के लिए निधिवन पहुंचे। जहां उनको द्वार पर ही रोककर वह स्वामी हरिदास जी के पास गए। इस पर स्वामी हरिदास जी ने कहा जिसको द्वार पर रोका है उनको लेकर आओ। जिसके बाद तानसेन और अकबर बैठ गए। इस दौरान तानसेन ने एक पद सुनाना शुरू किया जिसे जान बूझकर आधा गाया। इसके बाद जब उस पद को स्वामी हरिदास जी ने गा कर पूरा किया तो अकबर आवाज सुनकर मंत्र मुग्ध हो गया।

तानसेन ने एक पद सुनाना शुरू किया जिसे जान बूझकर आधा गाया। इसके बाद उस पद को स्वामी हरिदास जी ने गा कर पूरा किया
437 वें पाटोत्सव के उपलक्ष्य में हो रहे आयोजन
इतिहासकार प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी के अनुसार इस बार आयोजित हो रहे 487 वें स्वामी हरिदास पाटोत्सव से पूर्व ही ब्रज वृंदावन श्री हरिदास मय नजर आने लगा है। पाटोत्सव के उपलक्ष्य में नगर में जगह जगह चल रहे तरह तरह के साहित्यिक, सांस्कृतिक, धार्मिक समारोहों ने ब्रज प्रदेश को रससिक्त बना रखा है। सेवायत के मुताबिक 11 सितंबर राधा अष्टमी को आयोजित होने स्वामी हरिदास महाराज के 487 वें पाटोत्सव समारोह के उपलक्ष्य में आराध्य को चाब का विशेष भोग अर्पित किया जायेगा।

487 वें स्वामी हरिदास पाटोत्सव से पूर्व ही ब्रज वृंदावन श्री हरिदास मय नजर आने लगा है
चाव का लगाया जाएगा भोग
राधा अष्टमी के दिन लगने वाले इस विशेष चाब बधाई भोग में घुहियाँ (अरबी), गुलदाने, सकलपाड़े और नमकीन सेब बनाये जाते हैं। इन्हें कई दिन पहले से ही तैयार किया जाने लगा है। हरिदास महाराज के 487 वें पाटोत्सव समारोह में सम्मिलित होने हेतु बेरीबाला परिवार के भक्त सदस्यों ने हर बार की तरह वृंदावन पहुँच कर उत्सवीय तैयारियों में हाथ बंटाना शुरू कर दिया है।

स्वामी हरिदास जी ने निधिवन में लता पताओं के बीच रहकर संगीत साधना की
बांके बिहारी जी जायेंगे बधाई देने
अपने प्राकट्य कर्ता स्वामी हरिदास जी के प्रगट दिवस पर निधिवन राज में जहां बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में अभिषेक किया जायेगा। वहीं शाम को बांके बिहारी मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस शोभायात्रा में भगवान बांके बिहारी जी के छवि चित्र को विराजमान किया जायेगा। मान्यता है कि भगवान बांके बिहारी जी स्वामी हरिदास जी को बधाई देने गाजे बाजे के साथ निधिवन जाते हैं।

भगवान बांके बिहारी जी स्वामी हरिदास जी को बधाई देने गाजे बाजे के साथ निधिवन जाते हैं