In Saharanpur, the responsible people woke up after 24 hours…held a meeting with the villagers | सहारनपुर में 24 घंटे बाद जागे जिम्मेदार…ग्रामीणों से मीटिंग की: शेखपुरा कदीम में यति नरसिंहानंद के विरोध में मुस्लिम युवकों ने कर दिया था पथराव, 13 अरेस्ट – Saharanpur News

शेखपुरा कदीम गांव के रेती चौक पर अधिकारी लोगों से बात करते हुए।
जूना अखाड़े के महा मंडलेश्वर और डासना शिव शक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद के बयान के बाद पथराव हुआ। सहारनपुर के शेखपुरा कदीम में युवा सड़कों पर आए। पुलिस पर पथराव हुआ। लेकिन कोई भी जिम्मेदार घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी सैकड़ों क
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बवाल के बाद तनाव पूर्व शांति
उपद्रवी पथराव करते हुए और पुलिस भागती रही।
शेखपुरा कदीम में रविवार को बवाल हुआ। देर रात को करीब 13 युवकों को अरेस्ट किया। डीएम मनीष बंसल और एसएसपी रोहित सिंह सजवाण पुलिस फोर्स के साथ सोमवार को पहुंचे। पहले चौकी में ग्रामीणों के साथ मीटिंग की। शांति समिति बनाने की बात हुई। लेकिन अधिकारी बाद में गांव में पहुंचे। जहां के चौक की सभी दुकानें बंद मिली। हैरानी की बात है कि जिले के जिम्मेदार रविवार को कहां थे? घटनास्थल पर क्यों नहीं पहुंचे। सीओ, इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज के भरोसे पर ही पूरे बवाल को छोड़ दिया गया।
ज्ञापन के बाद विरोध क्यों हुआ?

उपद्रव में शामिल युवकों को पुलिस ने अरेस्ट किया है।
गांव के रेती चौक पर हजारों की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग इकट्ठा हुए। जिन्हें चौकी पर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद के विरोध में ज्ञापन देने जाना था। पुलिस ने पहले इसे हल्के में लिया। कुछ ही पुलिसकर्मी थे। इंस्पेक्टर देहात चंद्रसैन सैनी को लगा भीड़ अधिक हो गई तो वो गांव में ज्ञापन लेने के लिए पहुंच गए। शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञापन लिया गया।
लेकिन भीड़ में कुछ युवकों ने चौकी में जाकर ज्ञापन देने की जिद की। युवाओं को उकसाया गया। जिसके बाद ये भीड़ दो फाड़ हो गई। शांत व्यवस्था बनाने वाले लोग अपने घर आ गए और दंगई चौकी की ओर दौड़ने लगे। दो से तीन पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन उपद्रवियों की भीड़ उग्र हो गई और पुलिसकर्मियों के पीछे ही दौड़ पड़ी। आगे-आगे पुलिसकर्मी ओर पीछे उपद्रवियों की भीड़ पुलिस पर पत्थरबाजी करती रही।
उपद्रवियों के पत्थरों से छिपती रही पुलिस जब उपद्रवी पत्थरबाजी कर रहे थे, तो पुलिस पेड़ के पीछे छिप गई। जब भी उनकी ओर भागती हुई आई तो फिर पुलिस वहां से भी भागने लगी। चौकी की पुलिस ने ही मामला सुलझा लिया, उसके बाद पुलिस फोर्स पहुंची। हालांकि फोर्स ने उन्हें उपद्रवियों को खदेड़ने का काम किया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुलिस व्यवस्था दुरुस्त होती और पुलिस बल तैनात होता तो ऐसी घटना नहीं होती।
लोकल इंटेलिजेंस हुआ फेल समाचार और वाट्सऐप ग्रुप से अपडेट होनी वाली लोकल इंटेलिजेंस पूरी तरह से फेल दिखाई दी। सवाल ये है कि जब पश्चिमी यूपी में महा मंडलेश्वर के बयान पर आफत आई हुई थी तो सहारनपुर का इंटेलिजेंस ने क्यों नजर नहीं बनाई? क्या पुलिस या फिर अधिकारियों को सूचित नहीं कराया गया? यदि कराया गया तो फिर इतनी बड़ी संख्या में भीड़ कहां से आई? जिसने फ़िजा को ही बदलने का काम किया। बड़े अफसर मौके पर क्यों नहीं पहुंचे? एक दिन बाद बड़े अफसर घटनास्थल पर क्यों पहुंचे? क्या पुराने 2013, 2017, 2022 में जो घटा उसकी नए अफसरों को जानकारी नहीं थी।