उत्तर प्रदेश

Kanpur Baradevi Mandir, Kanpur News Today, Kanpur News Hindi, Kanpur | बारादेवी मंदिर में चुनरी बांधने पर पूरी होती मनोकामना: शादी से नाराज होकर गन्ने के खेत में छिपी थी कन्या; आज भी घर वाले करते हैं पहली पूजा – Kanpur News

बारादेवी मंदिर में कन्या से मूर्ति बनी मां की प्रतिमा।

नवरात्रि के दूसरे दिन आज बारादेवी मंदिर के बारे में बताते हैं। बारादेवी मंदिर शहर के प्रमुख दुर्गा मंदिरों में से एक है। करीब 500 से अधिक वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि बर्रा में रहने वाली कन्या शादी करने की बात से नाराज होकर गन्ने के खेतों में आकर

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बर्रा में रहने के कारण उनके नाम से बारादेवी मंदिर स्थापित हुआ, जहां लोग चुनरी व ईंट रख कर मन्नत मांगते है। नवरात्र पर मां के मंदिर में हजारों की संख्या की रोजाना श्रद्धालु दूर दराज वाले इलाकों से आते हैं।

मंदिर में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं श्रद्धालु।

पिता की पूजा से पूरे होते दर्शन मां बारादेवी जीर्णोंद्धार रख-रखााव समिति के महेश सिंह पिछले 40 वर्षों से महामाई की पूजा अर्चन का कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि महामाई बर्रा इलाके के ठाकुर परिवार की रहने वाली थीं। उनके पिता का नाम लखुवा वीर सिंह था।

बताया जाता है कि पिता ने उनकी शादी अर्रा गांव निवासी युवक के साथ तय की थी, जिससे नाराज होकर वह किदवई नगर के पास स्थित गन्ने के खेतों में आकर छिप गईं।

उनकी तलाश करते हुए जब पिता वहां पहुंचे तो क्रोधित होकर वह पिता समेत पत्थर के रूप में तब्दील हो गई थीं। बताया जाता है कि मुंबई के उद्योगपति ने मां का सपना आने के बाद उस स्थान पर मां के मठ का निर्माण कराया, जिसके बाद बारा देवी मंदिर का निर्माण हुआ। आज बारादेवी मंदिर में मां अपने नौ रुपों में विराजमान हैं। मंदिर परिसर में ही लखुवा बाबा की प्रतिमा भी स्थापित है।

भक्त मां को जबान काट कर चढ़ाते थे बताया जाता है कि मनोकामना पूरी होने पर भक्त मां को जबान काट कर अर्पण करते थे, इसके बाद भक्त को मंदिर परिसर में लगे टेंट में लिटाकर 7 दिनों तक मां को चढ़ाया जाने वाला जल दिया जाता था।

8वें दिन पुजारी भक्त को मां की आरती में शामिल करते थे, जहां जयकारे लगाने के दौरान भक्त भी जयकारें लगाने लगता है, बताया जाता है कि 8 दिनों में भक्त की जीभ दोबारा आ जाती थी। करीब 15 से 20 साल पहले इस प्रथा को समाप्त कर दिया गया। अब बलि के स्वरूप में नारियल का चढ़ाने का चलन है।

नवरात्रि में पूरे 9 दिन लगता है भक्तों का तांता।

नवरात्रि में पूरे 9 दिन लगता है भक्तों का तांता।

अष्टमी की रात घरवालों की पूजा के बाद खुलते हैं पट समिति पदाधिकारियों के मुताबिक नवरात्र में अष्टमी के दिन बर्रा निवासी घरवाले ही मां की प्रथम पूजा अर्चना करने रात 12 बजे आते हैं, घरवालों की पूजा के बाद ही मां के पट अन्य भक्तों के लिए खोले जाते है। बताया जाता है कि आज भी इलाके के लोग अष्टमी पर महामाई की पूजा के लिए श्रंगार समेत अन्य सामाानों का दान करते है।

चैत्र नवरात्र पर प्रदेश के आते हैं सबसे ज्यादा ज्वारे चैत्र नवरात्र पर शहर समेत आसपास के इलाकों में सबसे अधिक ज्वारे मां के मंदिर में पहुंचते हैं। शहर के परमपुरवा, जूही, दर्शनपुरवा, घाटमपुर, रमईपुर तक से श्रद्धालु सांग लगाकर, दंडवत होते हुए मां के दरबार में पहुंचते हैं।

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