उत्तर प्रदेश

In Ballia, the Ganges, Saryu and Tons rivers are all in decline | बलिया में गंगा,सरयू तथा टोंस तीनों नदियां घटाव पर: शहर के निचले इलाकों सहित गांवों में बाढ़ के पानी से मुश्किल में लोग – Ballia News

बलिया में गंगा,सरयू तथा टोंस तीनों नदियां घटाव पर है। बावजूद इसके तींनों ही नदियों का जलस्तर खतरा बिन्दु के ऊपर है। उफनाई नदियों की वजह से तटवर्तीय इलाकाई लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। गंगा तथा घाघरा की लहरें तबाही का सबब बन रही ह

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शहर के निचले इलाके सहित गांवों में घुसा पानी बना परेशानी का सबब

दोनों नदियों के उफान पर होने के कारण करीब तीन दर्जन से अधिक गांव की लगभग दो लाख की आबादी प्रभावित हैं। उफनाई गंगा का पानी शहर के निचले इलाके निहोरा नगर,गायत्री मंदिर आदि सहित कई गांवों में घुस गया है। दूबेछपरा इंटर कालेज और पीजी कालेज के प्रांगण में बाढ़ का पानी घुस गया है।

बाढ़ नियंत्रण कक्ष द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक गायघाट गेज पर शनिवार की सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 59.65 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि यहां का हाई फ्लड लेबल वर्ष 2016 में 60.390 रिकार्ड किया गया था। वहीं, घाघरा का जलस्तर डीएसपी हेड पर शनिवार की सुबह 8 बजे 64.05 मीटर रिकार्ड किया गया, यहां खतरा विन्दु 64.010 मीटर है। उधर, टोंस नदी का जलस्तर पिपरा घाट 60.50 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि लाल निशान 60 मीटर है।

बन्धे पर शरण लेने को लोग मजबूर

गंगा नदी की बाढ़ का पानी रेपुरा, त्रिलोकपुर मनिया, आढ़त दूबे के छपरा, हरिपुर पोखरा, दूबेछपरा, गोपालपुर, सुघरछपरा, केहरपुर समेत कई गावों में घुस गया है। वहीं, नौरंगा, भुआलछपरा, चक्की नौरंगा, जवही, ब्यासी, सोमाली परानपुर इत्यादि गावों का जनपद मुख्यालय से सीधा सम्पर्क टूट गया है। उधर, बलिया शहर से सटे निचले इलाकों में पानी की इंट्री ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। फ्लड एरिया के लोग बंधों पर शरण लेने को मजबूर है।

करीब 450 आशियाने नदी में हो चुके हैं समाहित

वहीं, कुछ लोग अपना खटिया-पटिया समेटकर ऊंचे स्थानों पर पहुंचाते नजर आये। ओझवलिया से रेपुरा जाने वाली सड़क पर बाढ़ का पानी आ जाने से राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।त्रिलोकपुर मठिया (ओझवलिया) में किनारे के कुछ घरों में पानी घुस चुका है। ओझवलिया में किसान अपने अपने खेतों मे पानी आ जाने के कारण मकई की फसलों को पानी में घुस कर काट रहे हैं। उधर सरयू नदी की लहरों ने तांडव निरन्तर जारी है।

नदी के उफान वजह न केवल कृषि योग्य भूमि नदी में लगातार समाहित होती जा रही है। बल्कि बांसडीह तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। बता दें कि सरयू नदी के तांडव की वजह से अब तक करीब 450 आसियाने नदी में समाहित हो चुके हैं। ग्रामवासियों का कहना है कि अभी तक किसी प्रकार की कोई प्रशासनिक सहायता नहीं पहुंचाई गई है। जिसके कारण यहां के लोगों में रहने और खाने का संकट लगातार बना हुआ है।

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