Question on Baba Bageshwar’s Hindu unity march | बाबा बागेश्वर के हिंदू एकता पदयात्रा पर सवाल: चित्रकूट में जय बजरंग सेना प्रमुख बोले-धीरेन्द्र शास्त्री एमपी में अपनी जमीन तैयार कर रहे – Chitrakoot News

चित्रकूट में महाकुंभ से पहले संत समाज की सेवा और तैयारी बैठक के लिए पहुंचे जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री की हिंदू एकता पदयात्रा पर बड़ा सवाल खड़ा किया।
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पत्रकारों से बातचीत में उपाध्याय ने तीखे आरोप लगाते हुए कहा, “पदयात्रा के पहले ही दिन कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के पुत्र की भागीदारी ने इस यात्रा की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जो नेता गाय को मात्र एक पशु और हाफिज सईद को ‘साहब’ कहते हैं, वे हिंदू एकता के इस आंदोलन से जुड़े हैं, तो फिर यात्रा का उद्देश्य कैसे पूरा होगा?”
राजनीतिक एजेंडा का आरोप
नितिन उपाध्याय ने धीरेन्द्र शास्त्री की यात्रा को “राजनीतिक यात्रा” करार देते हुए दावा किया कि यह प्रयास उनकी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा से प्रेरित है। उन्होंने कहा, “जिस तरह योगी आदित्यनाथ संत से मुख्यमंत्री बने, उसी तर्ज पर धीरेन्द्र शास्त्री मध्यप्रदेश में अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। यह दिन दूर नहीं जब वह चुनावी माहौल में यह कहेंगे कि ‘भक्तों की मांग पर मैं चुनाव लड़ने को मजबूर हूं।'”
भाई पर गंभीर आरोप
नितिन उपाध्याय ने धीरेन्द्र शास्त्री के भाई सालिग्राम शास्त्री पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “सगा भाई दलितों पर अत्याचार करता है और टोल प्लाजा पर गुंडागर्दी करता है। अगर वह अपने भाई पर काबू नहीं रख सकते, तो फिर हिंदू एकता का सपना कैसे साकार करेंगे?”
विदेशी यात्राओं पर सवाल
उपाध्याय ने शास्त्री की विदेशी यात्राओं पर भी कटाक्ष किया और कहा कि अगर उन्हें सच में हिंदू एकता का संदेश देना है, तो यह बांग्लादेश जैसे देशों में जाकर करना चाहिए। उन्होंने कहा, “सनातन हिंदू एकता का असली संदेश महाकुंभ जैसे आयोजन से ही जाएगा।”
ध्यान भटकाने का आरोप
नितिन उपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया कि धीरेन्द्र शास्त्री अपनी लोकप्रियता को राजनीतिक दलों के बीच कैश कराने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “यात्रा की आड़ में वे बड़े नेताओं को प्रभावित कर रहे हैं और अपने राजनीतिक भविष्य के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं।”
क्या कहते हैं संत समाज?
हालांकि, धीरेन्द्र शास्त्री या उनके समर्थकों की तरफ से अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इस बयान के बाद संत समाज और उनके अनुयायियों में चर्चाओं का दौर गर्म हो गया है।