उत्तर प्रदेश

Bahraich Maharajganj Bulldozer Case Hearing lucknow high court bench | बहराइच के महराजगंज बुलडोजर मामला: लखनऊ हाईकोर्ट में सुनवाई, सांप्रदायिक हिंसा से जुड़ी कार्रवाई पर नजरें; यूपी सरकार रखेगी अपना पक्ष – Lucknow News

बहराइच के महराजगंज में बुलडोजर कार्रवाई के मामले में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई होगी। यह मामला प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए की गई बुलडोजर कार्रवाई से जुड़ा है।

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राज्य सरकार आज अदालत में इस कार्रवाई के औचित्य पर अपना पक्ष रखेगी।

पूरा मामला क्या है?

13 अक्टूबर को बहराइच जिले के महसी तहसील के महराजगंज बाजार में प्रतिमा विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक तनाव हुआ, जिसमें राम गोपाल मिश्रा नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद इलाके में हिंसा भड़क गई, जिसमें कई दुकानों, मकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। घटना के बाद प्रशासन ने मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद समेत 23 अन्य व्यक्तियों पर कार्रवाई करते हुए उनके मकानों और दुकानों को सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण करार दिया। इन संपत्तियों पर ध्वस्तीकरण के लिए नोटिस जारी किए गए।

इस मामले में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने जनहित याचिका दाखिल कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को चुनौती दी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन ने बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए, बुलडोजर का इस्तेमाल कर संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, जिससे लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ।

6 नवंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। अदालत ने फिलहाल 18 नवंबर तक ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई है, जिससे कथित अतिक्रमणकारियों को अस्थायी राहत मिली है।

आज की सुनवाई में क्या रहेगा

इस सुनवाई में राज्य सरकार को अदालत को यह समझाना होगा कि क्या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कानून के तहत हुई थी। अदालत यह तय करेगी कि प्रशासनिक कार्रवाई मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का मामला बनती है या नहीं। राज्य सरकार का रुख:मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सरकार अदालत के समक्ष आज अपना विस्तृत जवाब दाखिल करेगी। सरकार इस कार्रवाई को वैध और नियमानुसार ठहराने के लिए अपने तर्क पेश करेगी।

संभावित प्रभाव और सवाल

प्रशासन का पक्ष: अगर अदालत प्रशासन के पक्ष में फैसला देती है, तो इसे अतिक्रमण विरोधी अभियान की बड़ी जीत माना जाएगा।

– याचिकाकर्ताओं का पक्ष: अगर अदालत याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला देती है, तो यह राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका होगा और बुलडोजर कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठेंगे।

मामले का सामाजिक और राजनीतिक एंगल

इस घटना ने कानून व्यवस्था और प्रशासनिक कार्रवाई के औचित्य को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। – सांप्रदायिक हिंसा: इस कार्रवाई को प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा से जोड़कर देखा जा रहा है। – राजनीतिक दबाव: विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर आरोप लगाए हैं कि बुलडोजर कार्रवाई कानून के बजाय राजनीति प्रेरित थी।

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