उत्तर प्रदेश

Kanpur police Human skeleton after 47 months not identified buried on banks of Rind river | कानपुर पुलिस को 47 महीने बाद मिली कंकाल से मुक्ति: अभी भी नहीं हो सकी मानव कंकाल की शिनाख्त, रिंद नदी के किनारे दफनाया – Kanpur News

भीतरगांव चौकी में ताबूत में रखा मानव कंकाल, रिंद नदी के किनारे जमीन में दफनाते पुलिस कर्मी।

कानपुर के भीतरगांव चौकी पर ताबूत के अंदर एक मानव कंकाल लगभग 47 महीने से रखा हुआ था। चौकी पुलिस 47 महीने से मानव कंकाल की सुरक्षा कर रही थी। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर रविवार दोपहर भीतरगांव चौकी पुलिस को कंकाल से मुक्ति मिली।

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पुलिस ने रिंद नदी के किनारे मानव कंकाल को मिट्टी में विधि विधान के साथ दफन कराया है। हालांकि 47 महीने बीतने के बाद भी मानव कंकाल की शिनाख्त नहीं हो पाई है।

47 महीने से कंकाल की रखवाली कर रही पुलिस साढ़ थाना क्षेत्र के बेहटा बुजुर्ग गांव के किनारे बीते 30 सितंबर 2020 को पेड़ पर फांसी के फंदे पर पुलिस को एक कंकाल लटकता मिला था। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने कंकाल को पेड़ से उतारकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा था। जिसके साथ कंकाल का ही डीएनए सैंपल जांच के लिए लैब भेजा गया था। लेकिन किसी ने अभी तक कंकाल की शिनाख्त नहीं की है।

कंकाल पर किसी का दावा न होने से डीएनए मिलान नहीं हो पाया था। जिसके चलते लैब से अभी तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आई है। इस वजह से पुलिस ने अभी तक मानव कंकाल को सुरक्षित ताबूत के अंदर चौकी पर रखा हुआ था।

उच्चाधिकारियों के निर्देश पर रविवार दोपहर साढ़ पुलिस के द्वारा रिंद नदी के किनारे पहुंचकर जेसीबी से गड्ढा खोदवाकर मानव कंकाल को जमीन में दफनाया गया है। कंकाल के जमीन में दफन होने से भीतरगांव पुलिस को कंकाल से मुक्ति मिल गई है।

साढ़ थाना प्रभारी केपी सिंह ने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर मानव कंकाल को रिंद नदी के किनारे गड्ढा खोदवाकर जमीन में दफन कराया गया है।

पोस्टमॉर्टम हाउस में कंकाल रखने से किया था मना पुलिस के मुताबिक, पंचायत नामा होने के बाद शव को पोस्टमॉर्टम हाउस ले जाया गया। जहां पर कंकाल से सैंपल निकाल डीएनए जांच के लिए विधि विज्ञान विभाग प्रयोगशाला झांसी भेजा गया था।

वहीं पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारियों ने कंकाल को वहां रखने से मना कर दिया था। जिसके बाद से बीते 47 महीने से मानव कंकाल भीतरगांव चौकी में एक ताबूत में बंद रखा हुआ था।

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