उत्तर प्रदेश

Mohit Pandey died police custody Lucknow Postmortem Report priyanka gandhi Akhilesh mayawati | लखनऊ में पुलिस कस्टडी में मोहित पांडेय की मौत: इंस्पेक्टर के बाद चौकी इंचार्ज की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल?; पोस्टमार्टम में शरीर में तीन जगह चोट के निशान – Lucknow News

लखनऊ चिनहट पुलिस कस्टडी में कारोबारी मोहित की संदिग्ध मौत का मामला गरमा गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मोहित के शरीर पर चोट के निशान तो पाए गए, लेकिन मौत का कारण स्पष्ट न होने से विसरा सुरक्षित कर लिया गया है।

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रविवार को मृतक के परिजनों ने गोमतीनगर स्थित मंत्री आवास के सामने घंटों प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की। पुलिस ने प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए शव को कंधे पर उठाकर घर पहुंचाया।

पुलिस आयुक्त अमरेंद्र सेंगर ने चिनहट इंस्पेक्टर अश्वनी चतुर्वेदी को निलंबित कर उनकी जगह दारोगा भरत पाठक को थाने की जिम्मेदारी सौंपी है। मौत के मामले में मजिस्ट्रियल जांच, ह्यूमन राइट्स को एक रिपोर्ट भेजी जा रही है। फिलहाल चिनहट कोतवाली में हुई मौत की जांच सुशांत गोल्फ सिटी के इंस्पेक्टर के द्वारा की जाएगी।

बीकेटी भाजपा विधायक योगेश शुक्ला ने एक लाख रुपये मृतक की मां को दिए, पत्नी ने वह रुपए मोहित के शव पर रखें।

रविवार सुबह से ही विधायक योगेश शुक्ला परिजनों को समझते रहे कार्रवाई का आश्वासन देते रहे।

रविवार सुबह से ही विधायक योगेश शुक्ला परिजनों को समझते रहे कार्रवाई का आश्वासन देते रहे।

मोहित की मां और भाई रोते हुए।

मोहित की मां और भाई रोते हुए।

सबसे पहले पढ़ते हैं, मायावती, अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी ने पांडे की मौत के मामले में क्या कहा?

मायावती का सवाल: परिवार को न्याय और महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल क्यों? बसपा प्रमुख मायावती ने मोहित पांडे की पुलिस हिरासत में मौत को “अति-निन्दनीय” करार देते हुए कहा कि पीड़ित परिवार के लिए न्याय सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। साथ ही, उन्होंने प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर भी चिंता जताई और सवाल उठाया कि ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई कब होगी।

अखिलेश यादव का सवाल: क्या ‘पुलिस हिरासत’ को ‘अत्याचार गृह’ का नाम देना चाहिए?समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर प्रदेश सरकार को घेरते हुए तंज कसा कि, “नाम बदलने में माहिर सरकार को अब ‘पुलिस हिरासत’ का नाम बदलकर ‘अत्याचार गृह’ रख देना चाहिए।” उन्होंने सवाल उठाया कि जब पिछले 16 दिनों में हिरासत में दो मौतें हो चुकी हैं, तो क्या अब पुलिस अत्याचार का केंद्र बन गई है?

प्रियंका गांधी का सवाल: यूपी में हिरासत में मौतें सबसे अधिक क्यों? कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, सवाल उठाते हुए कहा कि “यूपी में हिरासत में मौतों के मामले में प्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है।” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने राज्य में “जंगलराज” बना दिया है, जहां पुलिस क्रूरता का पर्याय बन गई है। उनका सवाल था कि ऐसे हालात में जनता न्याय की उम्मीद किससे करे?

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं हुआ मौत के कारणों का खुलासा, शरीर पर चोट के निशान

व्यापारी मोहित पांडेय की संदिग्ध पुलिस हिरासत में मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई है, लेकिन मौत के स्पष्ट कारण का खुलासा नहीं हो सका है। तीन डॉक्टरों के पैनल ने मोहित के शव का पोस्टमार्टम किया, लेकिन रिपोर्ट में केवल “Could not be ascertained” यानी “मृत्यु का कारण निर्धारित नहीं हो सका” का उल्लेख किया गया है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मोहित के सिर, हाथ, पैर और पीठ पर चोट के निशान पाए गए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इन चोटों का संबंध उनकी मौत से है या नहीं। मोहित पांडे के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने हिरासत में उनके साथ दुर्व्यवहार किया, जिससे उनकी मौत हुई। परिवार ने सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है।

पुलिस हिरासत में देरी और 151 के तहत कार्रवाई पर सवाल

151 में हिरासत के बावजूद चालान में देरी क्यों? मोहित को धारा 151 के अंतर्गत हिरासत में लिया गया था, लेकिन निर्धारित समय में चालान नहीं किया गया। कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद तुरंत चालान किया जाना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने इसे नजरअंदाज कर दिया। यह देरी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है।

चौकी इंचार्ज की भूमिका पर सवाल

112 की पुलिस टीम जब मोहित को अपट्रान चौकी इंचार्ज धनंजय सिंह के आदेश पर लॉकअप में बंद किया गया। परिवार का आरोप है कि चौकी इंचार्ज ने मोहित के मामले को गंभीरता से नहीं लिया और उसकी हालत खराब होने के बावजूद उसे मेडिकल सुविधा नहीं दिलाई।

क्या चौकी इंचार्ज को इस मामले में लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?

मोहित की हिरासत में लापरवाही पुलिस हिरासत में किसी भी व्यक्ति की देखभाल पुलिस की जिम्मेदारी होती है, लेकिन मोहित को बिना उचित चिकित्सा सहायता के लॉकअप में रखा गया। उसकी हालत खराब होने पर भी कोई मेडिकल जांच नहीं कराई गई, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस की यह कार्यशैली मानवाधिकारों का उल्लंघन मानी जा रही है।

मोहित पांडेय की मौत में शुक्रवार रात से रविवार रात तक की घटनाक्रम

(25 अक्टूबर-शुक्रवार रात)

  • पुलिस ने व्यापारी मोहित पांडे को पकड़कर चिनहट थाना, लखनऊ ले आया गया और अपट्रान चौकी इंचार्ज के कहने पर उसे लॉकअप में बंद कर दिया।
  • रात करीब 11 बजे मोहित का बड़ा भाई उसे देखने पहुंचा, लेकिन पुलिस ने उसे भी लॉकअप में बंद कर दिया।
  • पुलिस ने बिना कोई लिखित कार्यवाही किए दोनों भाइयों को पूरी रात थाने में ही रखा।(26 अक्टूबर-शनिवार सुबह से दोपहर)
  • शनिवार सुबह से लेकर दोपहर तक मोहित से मिलने कई लोग थाने पहुंचे, लेकिन किसी को भी मिलने की इजाजत नहीं दी गई।
  • दोपहर 1 बजे मोहित को अचानक दर्द उठा, जिसके बाद उसे आनन-फानन में लोहिया अस्पताल ले जाया गया।
  • अस्पताल में पहुंचने पर डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।

शनिवार दोपहर से रात

  • मोहित की मौत की खबर से परिवार में कोहराम मच गया। परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा किया और सड़क जाम कर पुलिस के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।
  • मोहित का दूसरा भाई तब पुलिस की हिरासत से छूटा और लोहिया अस्पताल पहुंचा।
  • शनिवार रात करीब 1 बजे तक प्रदर्शन जारी रहा। परिजनों और स्थानीय लोगों ने सड़क पर विरोध किया और पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया।
  • पुलिस ने इंस्पेक्टर समेत अन्य पांच के खिलाफ हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज किया।

(27 अक्टूबर -रविवार सुबह से रात तक )

  • रविवार सुबह मोहित का पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों के पैनल द्वारा किया गया। रिपोर्ट में तीन स्थानों पर चोट के निशान मिले हैं, हालांकि मौत के कारण की पुष्टि नहीं हुई और बिसरा सुरक्षित रखा गया।
  • पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही परिवार वाले शव घर लेकर जाने लगे, उन्होंने सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
  • परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर सरकार विरोधी नारेबाजी की और निष्पक्ष जांच और कार्यवाही की मांग की।
  • समाजवादी पार्टी की नेत्री पूजा शुक्ला और कांग्रेस नेता प्रदर्शन में शामिल हुए और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
  • बीजेपी विधायक योगेश शुक्ला ने मृतक की माता को आर्थिक मदद के रूप में एक लाख रुपये नकद दिए और मुख्यमंत्री से मिलने और एक सदस्य को नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया।
  • पुलिस कमिश्नर अमरेंद्र कुमार सेंगर ने इंस्पेक्टर अश्वनी चतुर्वेदी को निलंबित कर दिया और उनकी जगह सब-इंस्पेक्टर शरद पाठक को नियुक्त किया गया।
  • इस मामले में मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए और पुलिस की जांच रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग को भेजी गई।
  • मोहित पांडेय की मौत की जांच का जिम्मा सुशांत गोल सिटी के प्रभारी सुधीर अवस्थी को सौंपा गया।

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