Children born with cataracts from their mother’s womb | मां के गर्भ से मोतियाबिंद लेकर पैदा हो रहे बच्चे: आगरा ऑप्थेमॉलॉजिस्ट एसोसिएशन ने की सीएमई, नई तकनीकों पर हुई चर्चा – Agra News

बच्चों में मोतियाबिंद की जानकारी देते डॉ. पुरेंद्र भसीन
मोतियाबिंद अब बुजुर्गों की नहीं बल्कि बच्चों को भी परेशान कर रहा है। कम उम्र में ही मोतियाबिंद हो रहा है। यही नहीं, नवजात बच्चे अपनी मां के गर्भ से ही मोतियाबिंद की शिकायत के साथ पैदा हो रहे हैं। यह कहना था ग्वालियर के डॉ. पुरेंद्र भसीन का। वे शनिवार
.
क्या है लक्षण
- आंखों में काली पुतली में सफेद रिफ्लेक्स दिखे।
- बच्चों में भैंगापन आ रहा है। काली पुतली अंदर की तरफ चली जाती है।
- एक साल से कम उम्र के बच्चे अपने पेरेंट्स या अपने खिलौनों को नहीं पहचान पा रहे हैं।
बच्चों में बढ़ रहा है मोतियाबिंद डॉ. भसीन ने बताया कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों में 1.8 प्रतिशत है। पोपूलेशन बढ़ रही है, इससे केसेज बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि चोट की वजह से भी मोतियाबिंद हो रहा है। घर में बच्चे जिन खिलौने से खेलते हैं, उनसे आंख में चोट लग जाती है। इससे भी मोतियाबिंद के केस सामने आ रहे हैं। आंख के ट्यूमर से भी दिक्कत आती है। डॉ. भसीन ने बताया कि अपने गोत्र में शादी करने वाले युवाओं के बच्चों को आंखों की दिक्कत आ रही है।
एक घंटा हो स्क्रीन टाइम बच्चों में मोबाइल, टीवी, टैबलेट आदि का इस्तेमाल ज्यादा बढ़ा है। बच्चे घंटों लगातार मोबाइल देखते हैं। एक साल के बच्चे को माएं मोबाइल पकड़ा देती हैं। ऐसा नहीं करना है। बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम एक घंटा ही होना चाहिए। इसमें टीवी भी शामिल है। 20-20-20 का फॉर्मूला अपनाएं। इसमें 20 मिनट मोबाइल देखने के बाद, 20 मिनट आराम करें, फिर 20 मिनट दूर तक देखें।
100 से ज्यादा डॉक्टर हुए शामिल सीएमई की जानकारी देते हुए डॉ. शैफाली मजूमदार ने कहा कि इसमें कैटरेक्ट इन पीडियाट्रिक्स पर चर्चा हुई। पहले माना जाता था कि मोतियाबिंद बुजुर्गों को होता है। लेकिन अब बच्चों में भी मोतियाबिंद होता है। शहर के अलावा अलीगढ़, फिरोजाबाद के 100 से ज्यादा डॉक्टर शामिल हुए। आंखों के इलाज की नई तकनीकों पर भी चर्चा हुई।