उत्तर प्रदेश

KD Singh was a football ground before 1957 | 1957 से पहले फुटबाल ग्राउंड रहा केडी सिंह स्टेडियम: लखनऊ में सचिन, कुंबले, इमरान साथ-साथ खेले; दिलीप कुमार से जुड़ी यादें – Lucknow News

लखनऊ और यूपी के दूसरे सबसे पुराने केडी सिंह स्टेडियम में सोमवार को फुटबाल मैच खेला जाएगा। यह कोई साधारण मैच नहीं बल्कि फुटबाल क्लब में प्रचलित दो बड़ी टीमों का मैच होगा। मोहन बागान और ईस्ट बंगाल की टीम यूपी में आमने-सामने होगी।

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मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के मैच में कोलकाता में एक बार 1 लाख 35 हजार दर्शक मैच देखने आ चुके हैं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पटल पर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे केडी सिंह स्टेडियम के लिए यह मैच किसी संजीवनी से कम नहीं।

दर्शक और लखनऊ के चाहने वालों को उम्मीद है, कि इस मैच के साथ ही केडी सिंह स्टेडियम अपने पुराने इतिहास को फिर से दोहराने लगेगा। कभी क्रिकेट, फुटबाल और हॉकी जैसे खेलों के लिए फेमस केडी सिंह स्टेडियम में पिछले करीब डेढ़ दशक से कोई बड़ा मैच नहीं हुआ। केडी सिंह स्टेडियम कभी हर खेल प्रेमियों के लिए पसंदीदा जगह हुआ करता था।

बाबू केडी सिंह स्टेडियम को लेकर दैनिक भास्कर ने जब फैक्ट जुटाने शुरू किए तो बड़े रोचक तथ्य निकलकर सामने आए। इसमें से हम कुछ जानकारियां आपके साथ साझा कर रहे हैं।

हॉकी के महान खिलाड़ी केडी सिंह की मौत के बाद 1978 में इसका नाम बाबू केडी सिंह स्टेडियम रखा गया। उनको हॉकी का ब्रेडमैन भी कहा जाता था।

ऐतिहासिक पलों का गवाह रहा स्टेडियम
यह मैदान हॉकी के खिलाड़ी बाबू केडी सिंह के अलावा, 1975 हॉकी विश्व विजेता टीम की मेजबानी, सचिन तेंदुलकर के शतक, सिद्धू के टेस्ट में 8 छक्के( करीब 30 बाद यह रिकॉर्ड टूटा ), कुंबले के 11 विकेट, नयन मोगिया का टेस्ट डेब्यू, पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान 84 रन, श्रीलंका विश्वकप विजेता टीम के खिलाड़ी अरविंद डी सिल्वा के 83 रन, ट्रेजडी सिंग दिलीप कुमार मेजबानी और उनकी बैटिंग के साथ यूपी के रणजी विजेता होने का गवाह रहा है।

1955 में यहां मोहन बगान से मैच खेला
केडी सिंह स्टेडियम वैसे तो 1957 में बना था। उस समय जब यह बना तो इसका नाम सेंटर स्टेडियम हुआ करता था। हॉकी के महान खिलाड़ी केडी सिंह की मौत के बाद 1978 में इसका नाम बाबू केडी सिंह स्टेडियम रखा गया है।

हालांकि यहां साल 1957 से पहले भी मैच हुआ करता था। उस इसको टीन वाले स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। तब यहां केवल फुटबाल का मैच होता था। यहां साल 1955 में मोहन बगान की टीम मैच खेलने आई थी। तब लखनऊ-11 के साथ एक फ्रेंडली मैच खेला गया था। यह मैच 1-1 की बराबरी पर छूटा था।

1975 विश्व विजेता बनने के बाद हॉकी टीम लखनऊ आई
भारत ने हॉकी विश्वकप साल 1975 में जीता था। उस समय फाइनल में पाकिस्तान को टीम ने 2-1 से हराया था। उस मैच को जितने के बाद पूरी हॉकी टीम को लखनऊ में बुलाया गया था। बाबू केडी सिंह और उस समय के सीएम हेमवंती नंदन बहुगुणा ने खुद पूरी टीम का स्वागत किया था।

करीब 3 दशक से लखनऊ में खेल पत्रकारिता कर रहे अनंत मिश्रा बताते हैं कि पूरी टीम के स्वागत के लिए हजरतगंज से लेकर परिवर्तन चौक पर लंबी कतार थी। इसमें खिलाड़ियों को एक-एक स्कूटर उपहार में दिया गया था, जबकि विजयी गोल दागने वाले अशोक कुमार का किसी बड़े स्टार की तरह स्वागत किया गया था।

दिलीप कुमार जब केडी सिंह में बल्ला लेकर उतर गए
भारतीय सिनेमा इतिहास के सबसे बड़े कलाकार रहे दिलीप कुमार की एक्टिंग की दुनिया दिवानी रही है, लेकिन उनका क्रिकेट प्रेम भी एक्टिंग से कम नहीं था। लखनऊ के लोगों ने उनके क्रिकेट प्रेम को देखा है। दिलीप कुमार सन 1979 में लखनऊ आए थे।

मौका था, केडी सिंह बाबू स्टेडियम के मैदान पर खेले जा रहे, ऑल इंडिया मीना कुमारी मेमोरियल क्रिकेट प्रदर्शनी मैच का। तब बॉलिवुड की अदाकारा आशा सचदेव ने दिलीप कुमार का विकेट चटकाया और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। दिलीप साहब मुस्कुराते हुए पवेलियन की तरफ चल दिए। हालांकि, इससे पहले कवर ड्राइव और कई बेहतरीन शॉट्स वह जड़ चुके थे।

दिलीप कुमार साल 1971 में भी यहां खेल चुके हैं। 1971 में शीश महल क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान केडी सिंह बाबू स्टेडियम में क्रिकेटर मुश्ताक अली के सहायतार्थ एक मैच हुआ। इस मैच में जब देश् के बड़े खिलाड़ी दिलीप सरदेसाई, बापू नाडकर्णी और सलीम दुर्रानी भी खेले थे।

दिलीप कुमार इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर आए थे, लेकिन क्रिकेट प्रेम ऐसा था कि खुद खेलने की इच्छा जता दी। उस समय पूरा स्टेडियम भरा पड़ा था। हजारों की संख्या में लोग चिल्ला रहे थे।

दिलीप कुमार ने लखनऊ के केडी सिंह स्टेडियम में क्रिकेट मैच खेला था।

दिलीप कुमार ने लखनऊ के केडी सिंह स्टेडियम में क्रिकेट मैच खेला था।

इमरान खान पर लखनऊ फिदा, 87 रन बनाए थे
केडी सिंह स्टेडियम में पहला वनडे मैच 7 अक्टूबर 1989 को खेला गया। पाकिस्तन और श्रीलंका टीम नेहरु कप का मैच खेलने यहां आई थी। तब के पाकिस्तानी कप्तान इमरान खान ने यहां 87 रन की शानदार पारी खेली थी। पाकिस्तान ने निर्धारित 50 ओवरों में छह विकेट खोकर 219 रन बनाए।

हालांकि एक समय ऐसा भी आया जब 115 रन पर टीम के पांच विकेट गए गए। उसके बाद कप्तान इमरान खान ने अपना करतब दिखाया। 110 गेंदों पर 87 रन बनाए। संयम के साथ खेली गई पारी में इमरान ने महज 3 चौके लगाए। 75 रन सिंगल और डलब से बनाया था। उनके बाद वसीम अकरम ने 29, अब्दुल कादिर ने 18 और आमिर मलिक ने 19 रन का योगदान दिया।

रनों का पीछा करने उतरी उतरी श्रीलंका की टीम एक समय यह मैच आसानी से जीत रही थी। हसन तिलकरत्ने और धाकड़ बल्लेबाज अरविंद डिसिल्वा के बीच डेढ़ सौ रन की पार्टनरशिप हुई। एक समय टीम का स्कोर दो विकेट पर 187 रन पहुंच गया था। जीत के लिए महज 33 रन चाहिए थे।

मगर अचानक विकेटों का पतझड़ लग गया। अलग 26 रन में श्रीलंका ने अपनी बाकी आठ विकेट गंवा दिए। श्रीलंका की पूरी टीम 213 रन बनाकर आउट हो गई और पाकिस्तान ने यह मैच 6 रन से जीत लिया। इमरान खान को उनकी शानदार के लिए ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का इनाम दिया गया।

इमरान खान ने 1989 में लखनऊ में खेले गए वनडे मैच में 87 रन बनाए थे।

इमरान खान ने 1989 में लखनऊ में खेले गए वनडे मैच में 87 रन बनाए थे।

सचिन ने बनाई टेस्ट सेंचुरी, सिद्धू ने लगाए 8 छक्के
केडी सिंह में पहला टेस्ट मैच साल 1994 में खेला गया। तब लखनऊ में 42 साल बाद टेस्ट क्रिकेट वापस आया था। उससे पहले 1952 में भारत-पाकिस्तान का यहां टेस्ट हुआ था। 1994 में भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच हुआ। भारतीय टीम ने यह मैच एक पारी 119 रन से जीत लिया था।

इस मैच में कई रिकॉर्ड बने और यह पता चला गया कि दुनिया को कई उभरते हुए खिलाड़ी मिलने वाले हैं। भारतीय टीम ने पहले खेलते हुए 511 रन बनाए। इसमें सचिन ने 142 रन बनाए। जिसमें 22 चौके यानी 88 रन बाउंड्री से बनाए गए थे। मैदान के हर कोने में सचिन के बल्ले से चौका निकला था। टेस्ट क्रिकेट की यह उनकी 7वां शतक था।

सचिन ने जहां चौके की झड़ी लगाई वहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने छक्कों की बारिश करके 124 रन बनाए। इसमें 8 गगन चुंबी छक्के शामिल थे। इसमें छह छक्का तो टेस्ट क्रिकेट इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बॉलर मुरलीधरन के खिलाफ लगाए थे। मुरली ने इस मैच में 162 रन खर्च किए और 5 विकेट लिया। इसमें नवजोत सिंह सिद्धू का विकेट भी शामिल था।

भारत के लिए सचिन और सिद्धू पर कुंबले की बॉलिंग भारी पड़ी। दोनों पारियों को मिलाकर कुंबले ने 11 विकेट लिए। इसमें पहली पारी में 4 तो दूसरी में 7 विकेट लिया था। इसके अलावा नयन मोगिया का भी यह डेब्यू टेस्ट था।

उन्होंने उस मैच में 55 गेंद में 44 रन बनाए थे। उस दौरान स्टाइक रेट 80 का था। यह टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से बहुत ज्यादा था। हालांकि बाद में मोगिया अपनी धीमी बैटिंग के लिए जाने गए।

महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के 100 शतक में एक शतक लखनऊ से भी आया। यहां उन्होंने अपना 7 वां शतक लगाया था। जिसमें 22 चौके लगाए थे।

महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के 100 शतक में एक शतक लखनऊ से भी आया। यहां उन्होंने अपना 7 वां शतक लगाया था। जिसमें 22 चौके लगाए थे।

यूपी ने जब जीता पहला रणजी मैच
रणजी में यूपी की टीम ने अपना पहला फाइनल साल 2006 में केडी सिंह स्टेडियम में ही जीता था। यूपी रणजी टीम के कप्तान रहे ज्ञानेन्द्र पांडेय बताते हैं, कि केडी सिंह से बहुत सी याद जुड़ी है। यहां साल 1993 में उन्होंने अपना पहला रणजी शतक लगाया था। उसके अलावा कैफ की कप्तानी में यहां अपना रणजी फाइनल जीता गया था।

इस मैच में अच्छा प्रदर्शन करने वाले यूपी के सभी खिलाड़ियों ने देश के लिए भी मैच खेला। इसमें यूपी ने पहले खेलते हुए 387 रन बनाए। जिसमें कैफ ने 92, सुरेश रैना ने 90 और प्रवीण कुमार ने 48 रन बनाए।

जवाब में बंगाल की टीम पीछा करते हुए 373 रन बनाकर आउट हो गई। टीम को 14 रन की बढ़त मिली। पीयूष चावला ने 5 विकेट लिए। दूसरी पारी में कैफ ने फिर से कप्तानी पारी खेली और 109 रन बनाए। रैना ने 52 रन का योगदान दिया। जवाब में बंगाल की टीम 5 विकेट के नुकसान पर 109 रन बनाए। इसमें एक समय टीम ने 54 रन पर 5 विकेट गंवा दिए थे।

बड़ी बात यह है कि सभी 5 विकेट प्रवीण कुमार ने लिए थे। कैफ, रैना, पीयूष चावला, प्रवीण कुमार इस मैच के हीरो रहे। सभी ने टीम इंडिया के लिए भी खेला। पहली पारी में 14 रन की बढ़त के आधार पर टीम विजेता रही। हालांकि उसके बाद यूपी टीम ने अगले दो साल तक रणजी फाइनल खेला, लेकिन पहले दिल्ली और उसके बाद मुंबई से उसको हार का सामना करना पड़ा।

कैफ की कप्तानी में पहला रणजी यूपी ने बाबू केडी सिंह स्टेडियम में जीता था।

कैफ की कप्तानी में पहला रणजी यूपी ने बाबू केडी सिंह स्टेडियम में जीता था।

महिला क्रिकेट भी साल 2005 के बाद नहीं हुआ
यहां महिला क्रिकेट में भी कई अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए है। इसमें पहला अंतरराष्ट्रीय महिला टेस्ट क्रिकेट 21 से 23 नवंबर 1976 में खेला गया। यह टेस्ट तीन दिन का था। मैच ड्रा रहा था। भारत ने पहले खेलते हुए 9 विकेट पर 215 रन बनाए। जिसमें टीम की विकेट कीपर फौजीही खलीली ने सबसे ज्यादा 84 रन बनाए।

जवाब में वेस्टइंडीज की टीम ने 249 रन बनाए। दूसरी पारी में भारतीय टीम ने 2 विकेट के नुकसान पर 97 रन बनाए और मैच खत्म हो गया। उसमें भी फौजीही खलीली ने नबाद 41 रन बनाए।

आखिरी टेस्ट साल 2002 में भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया। यह टेस्ट भी ड्रा रहा था। हालांकि इसमें भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे बड़ी खिलाड़ी मिताली राज शून्य पर आउट हो गई थी। मिताली का खेल देखने हजारों दर्शक आए थे। उसमें समय वह महिला क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर पूरी दुनिया में छाई थी। तब का यह सबसे बड़ा स्कोर था।

महिला क्रिकेट का पहला वनडे मैच साल 1995 में भारत और इंग्लैंड के खिलाफ हुआ था। जिसको टीम इंडिया ने 9 विकेट से जीता था। आखिरी वनडे भारत और इंग्लैंड के खिलाफ खेला गया था। जब भारतीय टीम ने 4 विकेट से जीत दर्ज की थी। लेकिन साल 2005 के बाद मैच नहीं हुआ।

मिताली राज ने यहां खेले गए आखिरी टेस्ट में शून्य का स्कोर बनाया था।

मिताली राज ने यहां खेले गए आखिरी टेस्ट में शून्य का स्कोर बनाया था।

इकाना और गोमती नगर स्टेडियम बनने के भूले लोग
ज्ञानेन्द्र पांडेय बताते हैं कि साल 2010 के बाद केडी सिंह में मैच कम होते हुए। इसकी बड़ी वजह लखनऊ में अलग-अलग जगहों पर स्टेडियम तैयार हो जाना। स्पोर्टस कॉलेज बन गया। उसके अलावा गोमती नगर विजयंत खंड में हॉकी का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम तैयार हो गया। साईं सेंटर खुल गया। उसके बाद साल 2018 से इकाना तैयार हो गया।

ऐसे में केडी सिंह पर ध्यान नहीं गया। हालांकि यह ग्राउंड बहुत अच्छा है। आगे यहां अच्छे मैच होने चाहिए। उन्होंने बताया कि उनका पहली रणजी शतक साल 1993 में यही आया था। तब उन्होंने 170 रन बनाए थे।

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