‘Hinduism is a holistic system of living’ | “जीवन जीने की समग्र प्रणाली है हिंदू धर्म”: प्रयागराज में बोले, विहिप के केंद्रीय मंत्री अंबरीश, शंख संस्था की ओर से वात्सल्य सभागार में हुआ संवाद कार्यक्रम – Prayagraj (Allahabad) News

संबोधित करते विहिप के केंद्रीय मंत्री अंबरीश।
शनिवार को प्रयागराज में शंख संस्था के माध्यम से सिविल लाइंस स्थित वात्सल्य सभागार में “सांस्कृतिक परिवर्तन: भारतीयता पर प्रश्न” विषय पर गोष्ठी एवं संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्
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कार्यक्रम में वक्ता के रूप में उपस्थित विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री अंबरीष ने कहा कि हिंदू धर्म केवल एक पूजा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र प्रणाली है। इसे समझने के लिए गहन अध्ययन और उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता है। वर्तमान में युवाओं और समाज के अन्य वर्गों के बीच हिंदू धर्म के मूलभूत सिद्धांतों को सरल और वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करना जरूरी है।
संबोधित करतीं कार्यक्रम संयोजिका डॉ. कीर्तिका अग्रवाल।
पूरे विश्व में सद्भाव का मार्ग दिखाता है हिंदू धर्म
धर्म की गहरी समझ और आत्म-अनुभूति ही हमें जातिवाद, भेदभाव और रूढ़िवादी सोच से ऊपर उठने में मदद कर सकती है। समाज को जागरूक करने के लिए धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन, संस्कृत के प्रचार-प्रसार, और मंदिरों के माध्यम से सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। साथ ही भारतीय संस्कृति के मूल्यों को वैश्विक स्तर पर फैलाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। यदि हिंदू धर्म को उसकी पूर्णता में समझा और अपनाया जाए, तो यह न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में शांति और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

कार्यक्रम में विभिन्न संस्थाओं व विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए।
पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करना दुर्भाग्यपूर्ण
कार्यक्रम में सह-वक्ता के रूप में उपस्थित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो सुनील कुमार शर्मा ने “कहा कि आज भारतीय संस्कृति में हो रही विकृतियों को समझने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति की विशिष्टता किसी से छुपी नहीं है परंतु यह दुख की बात है कि हम भारतीय ही इसे भूलते जा रहे हैं और पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करते का रहे हैं।
कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. कीर्तिका अग्रवाल ने सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की और विषय को संक्षेप में सभी के समक्ष रखा और बेहतर भारतीय समाज जो भारतीय मूल्यों पर आधारित हो उसे स्थापित करने की बात कही।
डॉ मृत्युंजय राव परमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति केवल भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व को राह दिखाने वाली है। शंख संस्थान के अध्यक्ष आलोक परमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर संयोजक नीलेश नारायण, राघवेंद्र सिंह, नेहा दुबे, अभिनव मिश्र, अंबुज और प्रशांत आदि रहे।