उत्तर प्रदेश

Dada Mian’s Urs begins Milad Mushaira | दादा मियां के उर्स की शुरुआत मिलाद और मुशायरे से: लखनऊ में मुफ्ती इरफान बोले दरगाह से कौमी एकता संदेश दिया जाता है – Lucknow News

लखनऊ के दरगाह ख्वाजा मोहम्मद नबी रजा शाह उर्फ दादा मियां के उर्स की शुरुआत हो चुकी है । 5 रोजा उर्स का आगाज गुरुवार रात मीलाद शरीफ और मुशायरा से हुआ। 26 सितंबर से 30 सितंबर तक चलने वाले उर्स में बड़ी संख्या में अकीदत मंदों का जमावड़ा लगा है। मिलाद में

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बड़ी संख्या में अकीदत मंद उर्स में हुए शामिल

देश की तरक्की के लिए की गई दुआ

मुफ्ती इरफान मियां फरंगी महली ने मिलाद की महफिल के समापन पर दुआ किया। मुफ्ती इरफान मियां ने बताया कि दादा मियां के दरगाह पर विगत कई दशक से आ रहे हैं। हर वर्ष यहां पर अकीदत मंदों की संख्या बढ़ी हुई मिलती है। बढ़ती भीड़ से स्पष्ट होता है कि दादा मियां का संदेश लगातार लोगों तक पहुंच रहा है। हमने जो दादा मियां से संबंधित किताबें पढ़ा है उसमें सबसे अधिक लोगों को जोड़ने पर जोर दिया गया है । समाज को बेहतर बनाने में सूफी संतों का बहुत अहम योगदान रहा है। भारत देश के किसी भी कोने में चले जाइए आप हर जगह सूफी संतों की दरगाह मिलेगी। सभी धर्म के लोग दरगाह पर पहुंचते हैं और कौमी एकता के मिशन में हिस्सा लेते हैं। आज मिलाद की महफिल में देश की तरक्की और एकता के लिए दुआ की गई। हम लोगों के लिए यह जरूरी है कि हमेशा अपने मुल्क की भलाई और विकास के लिए दुआ करें।

मुफ्ती इरफान मियां ने देश की तरक्की और शांति की दुआ किया

मुफ्ती इरफान मियां ने देश की तरक्की और शांति की दुआ किया

सभी धर्म के लोग आते हैं दरगाह पर

दरगाह के सज्जाद नशीन सबाहत हसन शाह ने कहा की हर साल की तरह इस साल भी बड़ी संख्या में लोग उर्स में शामिल होने पहुंचे हैं। उर्स में आने वाले सभी अकीदत मंदों के भोजन की और ठहरने की पूरी व्यवस्था दरगाह की ओर से की गई है। यह हमारे बुजुर्गों का तारिक रहा है कि दरगाह पर जो भी आता है उसके खान और रहने की जिम्मेदारी उठाते हैं। यहां सभी धर्म के लोग आते हैं चादर चढ़ाते हैं और मन्नत मांगते हैं। दरगाह से सभी को फायदा मिलता है यही कारण है कि हर साल लोगों की भीड़ बढ़ जाती है। शुक्रवार को उर्स के दूसरे दिन सरकारी चादर चढ़ाई जाएगी और महफिल-ए- समा का कार्यक्रम होगा।

मिलाद शरीफ की महफिल पढ़ते हुए मौलाना मुहिब्बुल हक

मिलाद शरीफ की महफिल पढ़ते हुए मौलाना मुहिब्बुल हक

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