उत्तर प्रदेश

Varanasi Musical performance by young artists in the court of Maa Kushmanda | मां कुष्मांडा में दरबार में युवा कलाकारों की संगीतमय प्रस्तुति: माता का हुआ नवरंग श्रृंगार,51 प्रकार के फूलों मंदिर सजा मंदिर – Varanasi News

माँ कुष्मांडा के दरबार में आयोजित संगीत समारोह के चौथी निशा में काशी के युवा होनहार कलाकारों ने जब मंच संभाला तो मंदिर प्रांगण में मौजूद हर श्रोता सिर्फ वाह वाह ही करता नजर आया। दुर्गाकुण्ड स्थित दुर्गा मन्दिर में चल रहे सप्त दिवसीय श्रृंगार एवं संगी

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निशा का शुभारंभ काशी की डॉ. सुप्रिया शाह ने सितार वादन के साथ किया। उन्होंने सबसे पहले राग बिहाग में अलाप, जोड़, झाला की प्रस्तुति दी, उसके बाद राग मिश्र पीलू में निबद्ध मखमली धुन से समापन किया। उनके साथ तबले पर सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने संगत किया।

बाँसुरी वादन करते अजय प्रसन्ना।

युवा कलाकारों के सुर-ताल की संगीतमय प्रस्तुति सुन झूमें श्रोता

• दूसरी प्रस्तुति काशी के ही नीरज मिश्र के सितार वादन की रही। उन्होंने सबसे पहले देवी धुन सुनाया, तत्पश्चात रूपक ताल में बन्दिश, मध्य लय एक ताल में तथा द्रुत बन्दिश तीन ताल में प्रस्तुत किया। उनके साथ भी सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने तबले पर संगत किया।

• समारोह की तीसरी प्रस्तुति काशी के युवा सरोद वादक अंशुमान महाराज की रही। उन्होंने राग गोरख कल्याण में अलाप, रूपक और तीन ताल में धुन सुनाई, उसके बाद उन्होंने प्रसिद्ध भजन ‘मैं बालक तू माता शेरा वालिये’ की धुन सुनाकर मंदिर प्रांगण में मौजूद श्रद्धालुओं को झूमा दिया। उनके साथ तबले पर उदय शंकर ने संगत किया।

चौथी निशा में सरोद वादन करते अंशुमान महाराज।

चौथी निशा में सरोद वादन करते अंशुमान महाराज।

• चौथी प्रस्तुति दिल्ली से आये बाँसुरी वादक अजय प्रसन्ना की रही। उन्होंने सबसे पहले राग दुर्गा में अलाप, जोड़ से माँ की स्तुति की। उसके बाद खास ध्रुपद अंग गायकी शैली में पखावज के साथ प्रस्तुति दी। उसके पश्चात राग चंद्रकौष में धुन सुनाया। अंत मे ‘नीमिया की डारि’ की मनमोहक धुन सुनाकर समापन किया। उनके साथ तबले पर गौरव चक्रवर्ती, पखावज पर आदित्य सेन एवं सह बाँसुरी पर मुकुन्द शर्मा रहे।

• पाँचवी प्रस्तुति बनारस के उभरते हुए प्रतिभशाली कलाकार कृष्णा मिश्रा के सितार वादन की रही। उन्होंने अपने दादा गुरु पद्मश्री पंडित शिवनाथ मिश्रा द्वारा रचित राग गंगा रंजिनी की अद्वितीय प्रस्तुति दी। उन्होंने शुरुआत आलाप से शुरुआत कर झपताल में बंदिश, फिर द्रुत तीन ताल, झाला तिहाई, प्रस्तुत किया। अंत में राग पहाड़ी में धुन सुनाकर माँ कूष्माण्डा के चरणों मे अपमी संगीतांजली अर्पित की। उनके साथ तबले पर श्रीकांत मिश्रा ने साथ दिया।

सितार वादन करते कृष्णा मिश्रा।

सितार वादन करते कृष्णा मिश्रा।

• छठी प्रस्तुति कलाकारों का समादर महंत राजनाथ दुबे एवं विकास दुबे ने किया। व्यवस्था में चंदन दुबे, किशन दुबे, चंचल दुबे रहे। संचालन प्रीतेश आचार्य एवं ललिता शर्मा ने किया।

माता का किया गया नवरंग श्रृंगार।

माता का किया गया नवरंग श्रृंगार।

महोत्सव के चौथे दिन हुआ माँ का हुआ नवरंग श्रृंगार

श्रृंगार महोत्सव के चौथे दिन भक्तों को माँ के नवरंग श्रृंगार का दर्शन हुआ। नव रंग के फूल एवं नव रंग के मोतियों की माला से सुसज्जित माँ का आभामंडल प्रकाशित होता रहा। सायंकाल पंचामृत स्नान के बाद पण्डित संजय दुबे ने माँ का नवरंग श्रृंगार किया। उन्होंने माँ का सबसे प्रिय गुड़हल, कमल, गुलाब, स्वर्णचम्पा, जूही, कामिनी, चम्पा, जलबेरा एवं रजनीगंधा के फूलों तथा नौ अलग अलग रंग के मोतियों की माला से माँ का नवरंग श्रृंगार किया।

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