उत्तर प्रदेश

Depression will be treated in Gorakhpur AIIMS | गोरखपुर AIIMS में होगा अवसाद का इलाज: मानसिक रोग विभाग में ई जाएगी न्यूरो मॉड्यूलेशन यूनिट – Gorakhpur News

गोरखपुर AIIMS में जल्द ही गंभीर रूप से अवसादग्रस्त मरीजों का इलाज भी हो सकेगा। दिमाग में आत्महत्या जैसे विचार पनपते हैं तो इसका उपचार भी यहां मिलेगा। मानसिक रोग विभाग में जल्द ही न्यूरो मॉड्यूलेशन यूनिट (NMU) लगाई जाएगी। इससे चुंबकीय और इलेक्ट्रिक ऊर

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गंभीर अवसाद की दशा में कई बार आत्महत्या के विचार पनपने लगते हैं। लोग खाने से भी कतराने लगते हैं। यह एक बीमारी है। इस तरह की बीमारी के इलाज के लिए मरीजों को अभी दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। लेकिन अब गोरखपुर AIIMS में लगने वाली मशीन से मरीजों के विचार बदल जाएंगे।

काफी कारगर मानी जाती है मशीन

AIIMS गोरखपुर में मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डा. मनोज पृथ्वीराज बताते हैं कि मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज में NMU काफी कारगर होती है। इस विधि में मरीजों का हल्के झटके और चुंबकीय ऊर्जा के जरिए इलाज किया जाता है। अच्छी बात यह है कि इन झटकों का मरीजों को तनिक भी पता नहीं चलता है। इलाज से उन्हें काफी आराम महसूस होता है।

एम्स की ओपीडी बिल्डिंग।

सप्ताह में तीन बार होगी ECT थेरेपी

गंभीर मानसिक रोगियों को माड्यूलेशन यूनिट से इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (ECT) दी जाएगी। इसमें पहले मरीजों को एनेस्थीसिया दिया जाएगा। इसके बाद चुंबकीय ऊर्जा के साथ हल्के झटके दिए जाएंगे। इसके बाद दो घंटे तक मरीज की देखरेख की जाएगी। यह प्रक्रिया सप्ताह में कम से कम तीन बार चलेगी। डाक्टर का कहना है कि मरीज की हालत ज्यादा गंभीर तो इस प्रक्रिया को उसी अनुसार आगे बढ़ाया जाएगा।

जानिए क्या हैं अवसाद के लक्षण

एक ही काम को बार-बार करना या एक ही बात को बार-बार बोलना एक तरह का अवसाद है। इसके अलावा कुछ न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे किसी को देखकर डर जाना, अचानक निराश होकर रोने लगना भी अवसाद की श्रेणी में आता है। इनका इलाज भी चुंबकीय ऊर्जा के माध्यम से होगा। इसमें मस्तिष्क के पहले से तय किए गए क्षेत्र में उत्तेजना पैदा की जाएगी। इससे मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को सक्रिय किया जा सकेगा, जो अवसाद से सुसुप्ता अवस्था में पहुंच गए होंगे। इसे मैग्नेटिक स्टिमुलेशन कहते हैं।

AIIMS प्रशासन की बात

AIIMS के मानसिक रोग विभाग में न्यूरो मॉड्यूलेशन यूनिट जल्द लगाई जाएगी, दवाओं के बेअसर होने पर इसी मशीन से होगा इलाज। मरीजों के लिए यह काफी कारगर होगा।

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