Kashi’s famous red peda will make pollen Parag Ka Peda and Gulab Jamun will be available at the outlets of Varanasi city, Amul had started this earlier. | काशी का मशहूर लाल पेड़ा बनाएगा पराग: शहर के आउटलेट पर मिलेगा पराग का पेड़ा और गुलाब जामुन, अमूल ने पहले की थी शुरूआत – Varanasi News

काशी के मशहूल लाल पेड़े का अलग ही स्वाद है, इसकी बिक्री भी अधिक है।
वाराणसी में दुग्ध पदार्थ निर्माता कंपनी पराग अब काशी का मशहूर लाल पेड़ा बनाएगी। पराग भी दूध-दही के साथ-साथ काशी की मशहूर मिठाइयां बनाएगा औऱ अपने आउटलेट पर बेचेगा। इन मिठाइयों में लालपेड़ा, मलाई पेड़ा, गुलाब जामुन और रसगुल्ला शामिल रहेगा। विजय दशमी से
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दीपावली पर काशी वासियों को पराग की मिठाईयां उनके आउटलेट पर मिलेंगी। हालांकि यूपी कॉलेज में बनने वाला लालपेड़ा काशी की मिठाइयों में एक अलग जगह रखता है, इसे पहले ही अमूल ने करखियांव स्थित प्लांट में बनाना शुरू कर दिया है और बाजार में इसकी बेहतर सप्लाई हो रही है। अब उसकी तर्ज पर पराग भी मिठाइयां देगा।
काशी की एक मशहूर दुकान से बाबा विश्वनाथ को लाल पेड़े का भोग लगाया जाता है।
पीसीडीएफ के एमडी आनंद कुमार सिंह के साथ एनडीडीबी के आनंद, स्वपन सिन्हा, अखिलेंद्र मिश्रा ने वितरकों, बूथ संचालकों और रिटेलर्स की मौजूदगी में मिठाई निर्माण व्यवस्था का आगाज किया। दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आरएल सैगल और विपणन प्रमुख चन्दन भारती ने बताया कि पराग का उद्देश्य गांव के छोटे-छोटे किसानों से दूध खरीदना और उन्हें सीधे का इसका लाभ पहुंचाना है।
2 लाख लीटर क्षमता वाले प्लांट में सितंबर 1 लाख 95 हजार लीटर प्रतिदिन की औसत से दुग्ध का प्रसंस्करण किया गया है। यहां 20 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाले पाउडर प्लांट की स्थापना हुई है। जिसका ट्रायल चल रहा है। जिसके बाद यहां तीन से 25 किग्रा तक पैक में अलग-अलग पाउडर उपलब्ध होंगे।
पीसीडीएफ के एमडी आनंद कुमार सिंह, एनडीडीबी के आनंद, स्वपन सिन्हा, अखिलेंद्र मिश्रा अरविंद कुमार ने बताया कि काशी की मशहूर मिठाइयों के अलावा विभिन्न प्रकार घी की वेरायटी भी उपलब्ध होगी। हाल में 50 मीट्रिक टन प्रतिदिन की क्षमता का फर्मेंटेड प्लांट भी लगाया गया है। जिसके बाद दही, छाछ, मट्ठा और लस्सी का उत्पादन होगा।
दिसम्बर 2021 में पराग डेयरी का प्रबंधन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को सौंपा गया था। जिसके बाद से यहां लगातार सुधार किये जा रहे हैं। दावा किया कि मिठाइयों का मूल्य अन्य कम्पनियों के उत्पाद के बराबर ही होगा।

काशी में कई दुकानों पर बड़ी संख्या में लाल पेड़ा या बर्फी बनती है।