उत्तर प्रदेश

Discussions about the gold chain of the minister’s PRO | भगवा दल में अब नो टेंशन वाले नेताजी: मंत्री के पीआरओ की सोने की चेन चर्चा में; बड़े साहब के दफ्तर में ठेकेदार की बैठकी – Uttar Pradesh News

आजकल पैराशूट लैडिंग वाले कैबिनेट मंत्री के PRO खूब चर्चा में हैं। मंत्री के उजाले वाले विभाग पर वह दाग लगाने में तुले हैं। उनकी सोने की मोटी चेन के खूब चर्चे हो रहे हैं। एक बड़े साहब हैं, उनके दफ्तर में एक ठेकेदार की खूब बैठकी चल रही। वह भी तब, जब प्र

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पढ़िए सुनी-सुनाई में ऐसे ही 5 मामले, जिनकी राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में चर्चा है…

1- कैबिनेट मंत्री के भाई का चल रहा विभाग में दबदबा

पैराशूट लैंडिंग करके कैबिनेट मंत्री बने एक नामचीन चेहरे के विभाग की खूब चर्चा है। मंत्री के भाई ने अपने शिष्य और यूपी प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड अफसर को मंत्री का PRO बनवा दिया। PRO साहब थ्री प्रशासनिक अफसर, इसलिए उन्हें लेन-देन के सब तरीके आते हैं। मंत्री जी के पास दो विभाग हैं। दोनों ही विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों से गोटियां फिट कर रहे हैं।

हाल ही में मंत्री जी से एक ठेकेदार मिलने आया। भेंट के लिए सोने की मोटी चेन भी लाया। उजाले वाले मंत्री जी निहायत शरीफ और साफ छवि के हैं। उन्होंने ठेकेदार को बाहर का रास्ता दिखा दिया। लेकिन, सोने की चेन देखकर PRO के मुंह में पानी आ गया। वे दौड़ते हुए ठेकेदार की SUV के पास पहुंचे। लार टपकाते हुए सोने की चेन गले में पहन ली।

उनका कारनामा सिर्फ यही नहीं है। मंत्री जी ने कुछ दिन पहले अपने कैंप ऑफिस के लिए LED टीवी मंगवाई थी। उसे PRO साहब ने अपने घर में लगवा लिया। घर की टीवी को कैंप ऑफिस में सेट करा दिया। चर्चा है, PRO साहब की लालसा बढ़ती ही जा रही है। उन्होंने जिले में तैनात अधिकारियों को चाय पर बुलाना शुरू कर दिया है। इन सब बातों की भनक मंत्री जी को भी लग गई। लेकिन वह करें भी तो क्या? भाई का दबाव है, इतना तो सहना ही पड़ता है।

2- नया ठिकाना तलाश रहे एसपीजी के खास अफसर

सूबे में साढ़े 7 साल से एसपीजी साहब की तूती बोल रही है। इस दौरान उनके प्रोटेक्शन वाले अफसरों की अलग जमात खड़ी हो गई। इस जमात के अफसर एसपीजी की वजह से अक्सर मलाईदार पदों पर ही तैनात रहते हैं। इनके छोटे-मोटे गुनाहों की तरफ तो देखा भी नहीं जाता। इसके पीछे एसपीजी साहब रहे हैं, उन पर भी ऊपर का आशीर्वाद शुरू से बना रहा है।

चर्चा है कि अब एसपीजी खुद ही सूबे की सत्ता छोड़कर केंद्र में पहुंचने की जुगाड़ में हैं। ऐसे में अब तक उनके प्रोटेक्शन में रहे अफसरों में खलबली मची है। अफसर हर जगह यही पूछते फिर रहे हैं कि एसपीजी साहब की जगह कौन साहब लेंगे। संभावित नामों के यहां हाजिरी लगाना भी शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, पश्चिमी यूपी में एक DM साहब तो अब एसपीजी की कार्यशैली पर सवाल भी खड़े करने लगे हैं। नए संभावित नामों की तारीफ भी कर रहे हैं।

3- भाई साहब न टेंशन लेते हैं, न टेंशन देते हैं

इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान (IGP) में भगवा दल की कार्यशाला हुई। इसमें संगठन के दूसरे नंबर के एक नेता ने पहले नंबर के एक नेता की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा- भाई साहब न टेंशन लेते हैं, न टेंशन देते हैं। दूसरे नंबर के नेताजी ABVP बैकग्राउंड से आते हैं। वहां उनका लंबे समय तक काम करने का एक्सपीरिएंस है।

अब उनके इस बयान का भगवा दल में अलग-अलग अर्थ निकाला जा रहा। कोई कह रहा है, नेताजी ने भाई साहब पर तंज कसा है कि वह पार्टी के कामकाज की ज्यादा टेंशन नहीं लेते। इसलिए कार्यकर्ता भी पार्टी के काम की टेंशन नहीं लेते। वहीं, कुछ इसका अर्थ निकाल रहे हैं कि पहले वाले ज्यादा टेंशन लेते थे और कार्यकर्ताओं को ज्यादा टेंशन दी जाती थी।

4- बड़े साहब के कमरे में खुलेआम ठेकेदार की एंट्री

सूबे के मुखिया ठेकेदारों और निजी लोगों की सरकारी दफ्तरों में बैठकी बंद करने की बात बार-बार कह चुके हैं। लोकभवन से लेकर लखनऊ के सभी दफ्तरों में ऐसे लोगों की मनाही है। जिले के अधिकारियों तक को भी वॉर्निंग दे चुके हैं। लेकिन एक साहब हैं कि डरते ही नहीं। प्रशासनिक महकमे के सबसे बड़ी अधिकारी हैं, लिहाजा नियम उन पर लागू नहीं होता।

बड़े साहब मुख्यमंत्री वाली बिल्डिंग में ही बैठते हैं। उनके कमरे में एक ठेकेदार की डायरेक्ट एंट्री है। वह कई बार उस ठेकेदार के साथ बैठकी करते देखे गए हैं। ठेकेदार के बारे में कहा जाता है, वह साहब का बहुत पुरानी जान-पहचान वाला है। साहब चाहे किसी विभाग में रहे हों, वह उनके हमेशा उनके आस-पास ही नजर आता है।

इसको लेकर दूसरे अफसरों में अक्सर कानाफूसी होती रहती है। कहा जाता है कि नियम तो सभी के लिए एक जैसे हैं। लेकिन, ये बात बड़े साहब को कौन बताए। उससे बड़ी बात कि मुखिया से शिकायत करे तो कौन? अगर कोई हिम्मत करके कदम उठाए भी, तो उसकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। इसलिए सभी चुप हैं, सही समय का इंतजार कर रहे हैं।

5- फिर पद के जुगाड़ में लगे हैं साहब

सूबे में शासन के पूर्व मुखिया को पद से हटे करीब दो महीने हो गए हैं। लेकिन, साहब फिर किसी बड़े पद की तलाश में दिल्ली में सत्ता के गलियारों में दौड़ लगा रहे हैं। चर्चा है, साहब को रिटायरमेंट के बाद ढाई साल तक सूबे में शासन की कमान मिशन- 2024 के लिए सौंपी गई थी। साहब को दिल्ली से फ्री हैंड देने के बाद भी नतीजे सही नहीं आए। इतना ही नहीं, चुनाव नतीजों के बाद जिलों से जो फीडबैक आया उससे साहब के नंबर बिल्कुल ही कम हो गए। साहब ने दिल्ली में कुछ बड़े नेताओं से संपर्क भी किया, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी।

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