UP Sharda Canal Flooding Report; Lakhimpur Kheri | Sitapur | ‘साही जानवर नहीं, अफसरों की लापरवाही से कटी शारदा नहर’: सीतापुर में लोग बोले-पानी का दबाव नहीं झेल पाई नहर, कई फाटकों में अब भी दरार – Sitapur News

‘नहर में साही जानवर ने छेद कर दिया था। सोमवार सुबह 9 बजे जब ग्रामीण इधर से गुजरे तो नहर की पटरी बिलकुल ठीक थी। लेकिन, 10 बजे अचानक रिसाव होने लगा। नहर में पानी का बहाव तेज था, इसलिए अचानक 20 फीट पटरी कट गई।’
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यह बातें जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने सीतापुर में कही। वे 27 अगस्त को बिसवां में शारदा सहायक नहर की कटान के बाद बिगड़े हालात का जायजा लेने पहुंचे थे। उन्होंने नहर विभाग के अफसरों को क्लीन चिट दे दी।
इस पूरे मामले में कौन जिम्मेदार है? क्या इतने बड़े हादसे की वजह जानवर है? इन सवालों के जवाब के लिए दैनिक भास्कर प्रभावित गांवों में पहुंचा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट-
सबसे पहले जानिए नहर कटने से कितने गांवों में मची तबाही…
ये फोटो 27 अगस्त की है, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह निरिक्षण के लिए बिसवां पहुंचे थे।
तारीख 26 अगस्त। सुबह के साढ़े 11 बजे थे। सीतापुर में बिसवां-महमूदाबाद के बीच रुसहन पुल के पास शारदा सहायक नहर की उत्तरी पटरी 20 फीट कट गई। उस समय नहर पानी से लबालब थी। बहाव भी काफी तेज था। पटरी कटते ही लाखों क्यूसेक पानी खेत और गांव की तरफ तेजी से फैलने लगा। लोगों के हाथ पांव फूल गए।
देखते ही देखते नहर का पानी खेतों में भरने लगा। लोधौरा, मरखापुर, भिनैनी, सद्दूपुर, रुसहन गांव के 11 मजरों में पानी ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई। सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, सिंचाई व नहर विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। राहत और बचाव कार्य शुरू करते हुए SDRF टीम को मौके पर बुलाया गया।
अब प्रभावित 5 गांवों में जलस्तर कम होने लगा है। लेकिन, खेतों में बालू जमा होने से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। प्रशासनिक अफसर लगातार प्रभावित गांवों में दौरा कर रहे हैं। कितनी फसलें चौपट हुईं और कितने घर क्षतिग्रस्त हुए, इसका आंकलन कर रहे हैं। ग्रामीणों के घरों में खाने-पीने की चीजें नहीं बची हैं।

अब बात शारदा सहायक नहर की…
शारदा सहायक नहर लखीमपुर से सीतापुर, बाराबंकी, रायबरेली होते हुए काशी तक जाती है। इसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बनवाया था। इसलिए इसे इंदिरा नहर के नाम से भी जाना जाता है। लखीमपुर के शारदा बैराज से नहर को पानी मिलता है। इससे कई छोटी नहरें भी निकली हैं, जो सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती हैं।

नहर के पानी से 11 गांवों में बाढ़ जैसी स्थिति हो गई है।
ग्रामीण मंत्री के बयान से इत्तफाक नहीं रखते…
बोले- नगर विभाग के अफसरों की लापरवाही है ये
मामले को समझने के लिए हम सबसे पहले पहुंचे ब्लॉक बिसवां के लोधौरा गांव, जो कि नहर के सबसे नजदीक है। गांव में रहने वाले तोताराम कहते हैं- पास से गुजरी शारदा सहायक नहर साही जानवर की वजह से नहीं कटी है। यह नहर विभाग के लापरवाह अफसरों का नतीजा है। नहर में पानी का दबाव बढ़ा तो मिट्टी बहने से पटरी फूट गई।
अब इसका खामियाजा हम गांव के लोग भुगत रहे हैं। वो बताते हैं- शारदा सहायक नहर को कोई भी अधिकारी देखने नहीं आते हैं। नहर की कभी कोई रिपेयरिंग नहीं की जाती है। सिल्ट भी नहीं हटाई जाती है। इसीलिए अब अचानक शारदा सहायक नहर का एक बड़ा हिस्सा फट पड़ा है।
इसी गांव में रहने वाले धर्मेंद्र कुमार कहते हैं- नहर के पैनल जगह-जगह टूटे हैं। सरकार कभी भी इसे रिपेअर नहीं करवाती है। आप चल कर देख लो, अब भी वहां जगह-जगह कई पैनल टूटे हुए दिख जाएंगे।

बिजली गुल, खाने के लिए कुछ नहीं, बालू से पटी फसल
पानी लोगों के घरों तक पहुंच जाने की वजह से उनके पास रहने खाने के लिए कुछ नहीं बचा है। तोताराम कहते हैं- किसी का घर ढह गया है तो किसी के घर में पानी भर गया है। खाने-पीने का सारा सामान डूब गया है। अब तो प्रशासनिक मदद और उनके दिए लंच पैकेट के सहारे दिन काट रहे हैं।

पूरा गांव प्रशासन की तरफ से दिए जाने वाले लंच पैकेट पर निर्भर है।
दूसरी तरफ गांव में पानी भरने से बिजली के खंभे उखड़ गए हैं। इससे गांव में बिजली संकट गहरा गया है। रेत से ढंकी अपनी फसलों की हालत देखकर ग्रामीणों की आंखें नम हो जा रही हैं। खेतों में एक लंबी परत बालू की जमा हो गई है। जबकि कुछ खेतों में अब भी पानी भरा हुआ है। उधर, जैसे ही मदद के लिए ड्यूटी पर लगाए लेखपालों की गाड़ियां दिखती हैं, ग्रामीण दौड़ पड़ते हैं। वो खाने-पीने के लिए एकटक लगाकर परिवार के साथ इन गाड़ियों का इंतजार करने को मजबूर हैं।
ये लेखपाल ही गांवों में प्रभावित लोगों को लंच पैकेट पहुंचा रहे हैं। लधौरा गांव के ही असर्फी लाल कहते हैं- नहर एक तरफ ऊंची है, दूसरी तरफ नीची। मानसून खत्म होने वाला है। न तो बारिश शुरू होने से पहले नहर की मरम्मत की गई और न बाद में देखरेख करने वाला कोई कर्मचारी नजर आया।

नहर के पानी के साथ आए बालू में डूबी खेतों में खड़ी फसल।
साही जानवर पानी में जाता भी नहीं, कैसे काटकर चला गया?
नहर विभाग के अफसर दिन-रात कटे हुए मार्ग को दुरुस्त कराने में जुटे हुए हैं। नहर को ठीक करने में तीन पोकलेन, 5 जेसीबी सहित डंपर और ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए नहर पाटी जा रही है। साथ ही दर्जनों की संख्या में मजदूर बोरियों में बोल्डर और मिट्टी भरकर कटी सड़क को पाटने में लगे हुए है।
ग्रामीणों ने बताया- शुरुआत में नहर की पटरी करीब 20 फीट कटी थी। लेकिन, अब इसका दायरा बढ़कर 60 फीट हो गया है। शारदा सहायक नहर के पानी से लोधौरा प्राथमिक विद्यालय की दो बाउंड्रीवाल भी क्षतिग्रस्त हो गई है।
असर्फी लाल कहते हैं- नहर की चौड़ाई करीब 50 मीटर है। ऐसे कैसे हो सकता है कि कोई जानवर काटकर चला जाए? ये सीधे-सीधे प्रशासन की लापरवाही है। अभी जाकर देखिए, कई फाटक में अब भी दरार बनी है। साही जानवर तो पानी में जाते भी नहीं हैं।


ये लधौरा का प्राथमिक विद्यालय है। पानी आने की वजह से इसकी बाउंड्रीवॉल गिर गई है।
अब बात नहर विभाग के अफसर की…
‘रैट होल और अन्य जानवर जिम्मेदार’
शारदा प्रखंड के अधिशासी अभियंता विशाल पोरवाल ने बताया- नहर की निगरानी के लिए समय-समय पर सिंचाई विभाग JE और AE सहित अन्य कर्मचारी निरंतर निगरानी करते हैं। बरसात के समय में नहर किनारे नमी न मालूम होने के चलते सड़क से हो रहे रिसाव का पता नहीं चल पाता है।
उन्होंने बताया कि इस नहर के कटने की प्रमुख वजह रैट होल सहित अन्य जानवरों के मिट्टी को खोदना है। नहर की पटरी के मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। अब पानी को बहने को रोक दिया गया है।
डैम से पानी रोका, राहत के लिए 75 लेखपालों की ड्यूटी लगाई
अफसरों ने शारदा बैराज लखीमपुर के रेगुलेटर से नहर में पानी बंद कर दिया है, लेकिन सीतापुर से लखीमपुर के बीच में नहर में पहले से छोड़े जा चुके लाखों क्यूसेक पानी को लेकर लोग परेशान हैं। एडीएम ने लोधौरा, मरखापुर, भिनैनी, सद्दूपुर, समेत अन्य प्रभावित गांवों में 75 लेखपालों की ड्यूटी लगाई है।

राहत और बचाव कार्य में प्रशासन के साथ प्रभावित गांवों के लोग भी लगे हुए हैं
मरम्मत कार्य मे लगे कर्मियों ने पेड़ डालकर पानी के बहाव को रोकने की कोशिश की। करीब 22 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। प्रभावित ग्रामीणों को प्रशासन ने सुरक्षित पंचायत भवनों, विद्यालयों में रुकवाकर हजारों ग्रामीणों को रात का भोजन, पानी सहित लंच की व्यवस्था मुहैया कराई। लखनऊ मंडलायुक्त रोशन जैकब नहर विभाग के अफसरों के साथ सोमवार रात करीब 12 बजे मौके पर पहुंचीं। यहां उन्होंने शिविरों में रुके ग्रामीणों से बातचीत की। साथ ही प्रशासन द्वारा हर संभव मदद का भरोसा दिया।
उस साही जानवर को जानिए, जिस पर नहर काटने का आरोप

ये साही जानवर है। प्रशासन की तरफ से नहर का फाटक काटने का इल्जाम इस जानवर के ऊपर है।
साही के शरीर पर तीर के समान कांटे होते हैं। खतरा महसूस होने पर यह अपने कांटों को फैलाकर दुश्मन पर मुंह फेरकर वार करते हैं। फिर इनके कांटे दुश्मन के शरीर में धंस जाते हैं। अधिकतर साही आकार में लगभग 60 से 90 सेंटीमीटर तक होते हैं। इनका वजन 5 से 16 किलो तक होता है। इनके कांटे तब तक किसी को नहीं चुभते, जब तक कोई इनसे टच न हो। इसके कांटों पर हल्का भी दबाव पड़ने पर कांटे शरीर से अलग हो जाते हैं। साही जमीन में गड्ढा खोदकर रहते हैं।
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