रंगमंच पर जीवंत हुआ बलिया का बागी इतिहास:साहस और बलिदान का अद्भुत मिसाल दिखा "क्रांति 1942@ बलिया नाटक मंचन में

बलिया बलिदान दिवस की पूर्व संध्या पर साउदी स्थित गंगा बहुदेशीय ऑडिटोरियम में आशिष छात्र द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक क्रांति 1942@ बलिया का मंचन किया गया। संकल्प, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया के रंगकर्मी ने 1942 की क्रांति में बलिया की भूमिका को शानदार तरीके से मंच पर प्रस्तुत किया। कलाकारों के बीच कई बार दर्शक और कलाकार एकाकार होते नजर आए। प्रतीक चिन्ह को चिन्हित किया गया है। मंच से जब क्रांतिकारी नारा लगा तो दर्शकों ने भी इसमें शामिल होकर अपनी बात कही। जब तीरंदाजों ने महिलाओं पर हमला किया तो दर्शक दीर्घा तालियों से गूंज उठे। 19 अगस्त 1942 को क्रांति मैदान से आजादी की घोषणा हुई तो भृगु बाबा की जयघोष से गंगा बहुउद्देश्यीय एडिटोरियो गूंज उठी। यादव,आदित्य शाह,संग्राम,अवधेश मौर्य,लकी पांडे,रिया,खुशी कुमारी,नंदिनी,भाग्यलक्ष्मी, गुड़िया,शालिनी,राहुल विष्णु,रवि,दूधनाथ यादव,संजीत,विशाल की अहम भूमिका रही।सह निर्देशित ट्विंकल गुप्ता का योगदान जारी ।।