Those who did love marriage asked for protection, the court said | लव मैरिज कर मांगी सुरक्षा, कोर्ट ने जांच करें: हाईकोर्ट में शादी कराने वाली संस्था ने कहा-प्रमाण पत्र नहीं दिया, कोर्ट ने सख्त रुख अपना कर कहा रिपोर्ट दें – Prayagraj (Allahabad) News

प्रेम विवाह के मामले में हाईकोर्ट पहले भी दस्तावेजों की जांच कराने का आदेश दे चुका है। अब एक मामले में प्रमी जोड़ों ने हाईकोर्ट में सुरक्षा की गुहार लगाई तो शादी कराने वाली संस्था ने हाथ खड़ा कर दिया। कहा कि उन्होंने प्रमाण पत्र नहीं जारी किया है। इसे
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएचओ कोतवाली प्रयागराज को अपने को शादीशुदा बताकर संरक्षण मांगने आए याची जोड़े की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याची जोड़े का पता किया जाए कि उनकी शादी किसने कराई तथा विवाह प्रमाणपत्र किस संस्था से किसने दिलाया। जिस पुरोहित ने शादी कराई उसका नाम, पता व मोबाइल नंबर सहित पूरी जानकारी इकट्ठा करें।
अब अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी
कोर्ट ने याची जोड़े को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया और कहा कि सहयोग न करें तो उन्हें अगली सुनवाई की तिथि पर अदालत में विस्तृत रिपोर्ट के साथ पेश किया जाए। याचिका की सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने शिवानी केसरवानी व एक अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।
प्रेमी जोड़े जो कि याची हैं उनका कहना था कि वे बालिग है। उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है। विपक्षियों से उन्हें जान को खतरा है और धमकी दी जा रही है।जिस पर कोर्ट ने एसएचओ कोतवाली से कथित शादी कराने वाली संस्था आर्य समाज चौक प्रयागराज के अध्यक्ष, सचिव व पुरोहित को अगली तिथि 25 सितंबर को पेश करने को कहा है।याची अधिवक्ता विनोद कुमार पांडेय नहीं आये। आर्य समाज की तरफ से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जो शादी का प्रमाणपत्र दाखिल किया गया है वह उनकी संस्था ने जारी नहीं किया है।
उन्होंने रजिस्टर भी पेश किया। पुरोहित पंकज शुक्ल ने कहा कि उन्होंने याचियों की शादी नहीं कराई है और न ही विवाह प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर किया है तथा न ही सोसायटी ने कोई प्रमाणपत्र दिया है।
कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए एसएचओ कोतवाली को याचियों से पूछताछ कर सच्चाई उजागर करने का निर्देश दिया। याची अधिवक्ता को अगली तिथि पर हाजिर रहने को कहा है साथ ही कोर्ट ने अधिवक्ता आर बी मिश्र को न्यायमित्र नियुक्त कर अगली सुनवाई की तिथि पर कोर्ट को सहयोग करने का आदेश दिया है।